बुद्ध ने सुनाई 4 पत्नियों की कहानी- एक आदमी की चार पत्नियां थीं. प्राचीन भारत की सामाजिक व्यवस्था ऐसी थी जहां एक पुरुष कई पत्नियां रख सकता था. समय बीतने पर वो व्यक्ति बीमार पड़ गया और उसे अपनी मौत करीब दिखने लगी. जीवन के अंत में, वो बहुत अकेलापन महसूस करने लगा. उसने अपनी पहली पत्नी को बुलाया और उसे अपने साथ दूसरी दुनिया में चलने के लिए कहा. व्यक्ति ने कहा, ‘मेरी प्यारी पत्नी, मैंने तुम्हें दिन-रात प्यार किया, जीवन भर तुम्हारा ख्याल रखा. अब मैं मरने वाला हूं, क्या तुम मेरे साथ वहां चलोगी जहां मैं अपनी मृत्यु के बाद जाऊं?’ उसे उम्मीद थी कि उसकी पहली पत्नी का जवाब हां ही होगा लेकिन उसने जवाब दिया, ‘मेरे प्यारे पति, मुझे पता है कि आप हमेशा मुझसे प्यार करते थे और अब आपका अंत करीब है. ऐसे में अब आपसे अलग होने का समय आ गया है. अलविदा मेरे प्रिय.’
दूसरी पत्नी का जवाब- इसके बाद बीमार पुरुष ने अपनी दूसरी पत्नी को बिस्तर के पास बुलाया और मौत के बाद के सफर पर साथ चलने की विनती की. उसने कहा, ‘मेरी प्यारी दूसरी पत्नी, तुम जानती हो कि मैंने तुम्हे कितना प्यार किया है. कभी-कभी मुझे डर लगता था कि तुम मुझे छोड़ दोगी, लेकिन मैंने तुम्हें दृढ़ता से थामे रखा. मेरी प्रिय, मेरे साथ दूसरे सफर पर चलो.’ दूसरी पत्नी ने जवाब दिया, ‘प्रिय पति, आपकी पहली पत्नी ने आपकी मृत्यु के बाद आपका साथ देने से इनकार कर दिया तो फिर मैं भला आपके साथ कैसे जा सकती हूं? आपने मुझे केवल अपने स्वार्थ के लिए प्यार किया है.’
तीसरी पत्नी का जवाब- मृत्युशय्या पर लेटे हुए पुरुष ने अपनी तीसरी पत्नी को बुलाया और उसे भी अपने साथ चलने को कहा. तीसरी पत्नी ने आंखों में आंसू भरकर उत्तर दिया, ‘मेरे प्रिय, मुझे आप पर दया आ रही है और अपने लिए दुख हो रहा है. इसलिए मैं अंतिम संस्कार तक आपके साथ रहूंगी.’ इस तरह तीसरी पत्नी ने भी उसके साथ चलने से इनकार कर दिया.
चौथी पत्नी का जवाब- जब तीनों पत्नियों ने उसकी मृत्यु के बाद उसका अनुसरण करने से इनकार कर दिया तब उसे याद आया कि उसकी एक और पत्नी और है. उसकी चौथी पत्नी, जिसकी उसने ज्यादा परवाह नहीं की थी. चौथी पत्नी के साथ उसने हमेशा एक दासी की तरह व्यवहार किया था और हमेशा उसे दुत्कारा था. पुरुष ने सोचा कि अगर वह अब उससे अंतिम सफर पर साथ चलने को कहता है तो वो निश्चित रूप से मना कर देगी. हालांकि, वो इतना ज्यादा डरा हुआ था और अकेलापन महसूस कर रहा था कि उसने अपनी चौथी पत्नी से भी दूसरी दुनिया में साथ चलने की गुजारिश की. चौथी पत्नी ने अपने पति के अनुरोध को तुरंत स्वीकार कर लिया.
चौथी पत्नी ने दिया ये जवाब- पति के अनुरोध करने पर चौथी पत्नी ने कहा, ‘मेरे प्यारे पति, मैं तुम्हारे साथ जाऊंगी. कुछ भी हो, मैं हमेशा आपके साथ रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. मैं आपसे कभी अलग नहीं हो सकती. यह कहानी है ‘एक आदमी और उसकी चार पत्नियों की.’
चौथी पत्नी का जवाब- जब तीनों पत्नियों ने उसकी मृत्यु के बाद उसका अनुसरण करने से इनकार कर दिया तब उसे याद आया कि उसकी एक और पत्नी और है. उसकी चौथी पत्नी, जिसकी उसने ज्यादा परवाह नहीं की थी. चौथी पत्नी के साथ उसने हमेशा एक दासी की तरह व्यवहार किया था और हमेशा उसे दुत्कारा था. पुरुष ने सोचा कि अगर वह अब उससे अंतिम सफर पर साथ चलने को कहता है तो वो निश्चित रूप से मना कर देगी. हालांकि, वो इतना ज्यादा डरा हुआ था और अकेलापन महसूस कर रहा था कि उसने अपनी चौथी पत्नी से भी दूसरी दुनिया में साथ चलने की गुजारिश की. चौथी पत्नी ने अपने पति के अनुरोध को तुरंत स्वीकार कर लिया.


चौथी पत्नी ने दिया ये जवाब- पति के अनुरोध करने पर चौथी पत्नी ने कहा, ‘मेरे प्यारे पति, मैं तुम्हारे साथ जाऊंगी. कुछ भी हो, मैं हमेशा आपके साथ रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. मैं आपसे कभी अलग नहीं हो सकती. यह कहानी है ‘एक आदमी और उसकी चार पत्नियों की.’
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