जल जीवन मिशन के आंकड़ों का विश्लेषण से सामने आता है कि देश के बड़े राज्य ही सरकार के लक्ष्य को धीमा कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने 2021-22 में 650,384 कनेक्शन लगाए। राजस्थान ने 501,462 परिवारों को कवर किया (जबकि लक्ष्य 30 लाख का था)। केरल ने 29 लाख के अपने लक्ष्य के मुकाबले 622,942 घरों को कवर किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल जल जीवन मिशन की रफ्तार फिलहाल थमी हुई नजर आ रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) की तुलना में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत पाइप के जरिए पानी का कनेक्शन देने की रफ्तार में काफी तेजी आई है। हालांकि इस वित्त वर्ष में यह रफ्तार धीमी हो गई है। मोदी सरकार ने पिछले दो वर्षों तो अपना समुचित लक्ष्य हासिल किया, लेकिन इस साल इसके अपने लक्ष्य में 60 फीसदी तक की कमी आने की संभावना है। जल शक्ति मंत्रालय ने परिकल्पना की थी कि वह गत वित्त वर्ष में 4.9 करोड़ परिवारों को पाइप वाले पानी का कनेक्शन देने में सक्षम होगी, लेकिन 24 मार्च तक यह केवल 1.98 करोड़ घरों को कवर करने में सक्षम थी।
लग सकते हैं और पांच साल
इस तरह के प्रदर्शन को मिलाकर देखा जाए तब सरकार ने 6.56 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 2020-21 तक 7.29 करोड़ परिवारों को कवर किया था और इस साल यह 1.04 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 9.2 करोड़ परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करने में सक्षम होगी। उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि अगर सरकार यही रफ्तार बरकरार रखती है, तो देश के सभी घरों तक पाइप वाले पानी का कनेक्शन देने की 2024 की तय समय सीमा को पार कर जाएगी। ऐसी स्थिति में भारत के सभी घरों को नल कनेक्शन देने में पांच साल का वक्त और लग सकता है
संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट से पता चलता है कि भले ही पेयजल और स्वच्छता विभाग ने 91,258 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन इसे वर्ष 2022-23 के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। जेजेएम 2021-22 में मुश्किल से आधे लक्ष्य को कवर कर सका। वहीं 50,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले, सरकार ने जनवरी 2022 तक 28,238 करोड़ रुपये खर्च किए थे। ऐसे में वर्ष 2022-23 के लक्ष्यों को हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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